अपने घर के बूढ़े माता-पिता के साथ रह पाना हर संंतान के लिए आसान नहीं होता. बेहतर जिंदगी की तलाश बच्चों को अपने मां-बाप से जुदा कर देती है. घर में रह जाते हैं अकेलेपन का दंश झेेलनेवाले माता-पिता. आपातकालीन सेवा के लिए कोई नहीं होता है पास में. आज पढ़िए बड़े-बुजुर्गों की जिंदगी में खुशियां लाने के काम में लगी एक स्टार्ट-अप कंपनी के बारे में.
मौजूदा जीवनशैली में बहुत कम परिवार ऐसे रह गये हैं, जहां बड़े-बूढ़े अकेलेपन का दंश झेल रहे हैं. मां और बाबूजी तनहाई में चुपचाप दिन काटते रह रहे हैं. इस शिकायत के बावजूद कि बच्चे बड़े होकर अपने घर के बुजुर्गों पर ध्यान नहीं देते हैं, उनकी देखभाल नहीं करते हैं. कई लोग ऐसे हैं, जो अपने मां-बाप से दूर रहकर भी उनकी चिंता करते है. अपने मां-बाप को खुश और सेहतमंद रखने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं या करना चाहते हैं. बेहतर रोजगार की आकांक्षा ने बच्चों को मां-बाप से दूर किया है. बच्चे नजर से दूर होते हैं, तो वैसे ही मां-बाप आधे बीमार हो जाते हैं. जिंदगी की इस मुश्किल को आसान बनाने के काम में लगा है -‘समर्थ’.
‘समर्थ’ एक स्टार्टअप है, जिसके फाउंडर और चीफ केयर ऑफिसर आशीष गुप्ता हैं. अनुराधा दास माथुर, गौरव अग्रवाल और संजय आहूजा इसके सह-संस्थापक हैं. ‘समर्थ’ की टीम ने स्टार्ट-अप शुरू करने के पहले काफी शोध किया. लगभग 1000 लोगों- माता-पिता और बच्चों से उनकी जरूरतों और समस्याओं के बारे में बात की गयी. उनसे यह पूछा गया कि सबसे ज्यादा चिंता-परेशानी किस बात को लेकर रहती है. इस शोध में जो बात उभर कर आयी कि बुजुर्गों को सबसे ज्यादा जरूरत इमोशनल सपोर्ट की है. यह संस्था वरिष्ठ नागरिकों की सहायता करती है, उन्हें प्रोफेशनल एसिस्टैंस मुहय्या कराता है. घर में डॉक्टर उपलब्ध कराना, घर में ही जरूरी लैब टेस्ट कर देना और नर्सिंग की सुविधा उपलब्ध करा देना- ये सारे काम तो ‘समर्थ’ करता ही है. इसके अलावा अकेलेपन के शिकार बड़े-बूढ़ों की जिंदगी में खुशियां भरने का काम भी करता है. आशीष मानते हैं कि बड़े-बुजुर्गों को चिकित्सकीय मदद के अलावा सबसे ज्यादा भावनात्मक संबल की जरूरत पड़ती है. वो चाहते हैं कि कोई उनके साथ रहे, उनकी सुने. इस स्टार्टअप के दो हिस्से हैं. एक है ‘समर्थ कम्युनिटी’ और दूसरा है ‘समर्थ लाइफ मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड’. ‘समर्थ कम्युनिटी’ वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामुदायिक कार्यक्रम चलाता है और ‘समर्थ लाइफ मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ एक निश्चित शुल्क लेकर वरिष्ठ नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराता है.
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देशभर के 30 शहरों में समर्थ कम्युनिटी के 5,000 सदस्य हैं. इस कम्युनिटी का सदस्यता शुल्क 100 रुपया है. यह एक बार ही देना होता है. इसके बदले सदस्य को समर्थ से जुड़े रेस्टूरेंट, हॉस्पिटल, लैब, दवा दुकान आदि में 10 से 25 फीसदी की छूट मिलती है. हर हफ्ते एक न्यूजलेटर भेजा जाता है. इसमें स्थानीय कार्यक्रमों की जानकारी के साथ सेवानिवृत लोगों के लिए नौकरियों के उपलब्ध अवसरों की सूचना भी दी जाती है. इस पत्रिका को पाने के लिए एक निश्चित सदस्यता शुल्क देना होता है. ‘समर्थ’ ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मैक्स हेल्थकेयर, कोलंबिया एशिया और अपोलो फार्मेसी के साथ करार किया है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मैक्स हेल्थकेयर ‘समर्थ’ के सदस्यों को आधे घंटे के अंदर एंबुलेंस उपलब्ध करा देता है. इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होती है. ‘समर्थ’ ने दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर और मोर सुपरमार्केट के साथ भी करार कर रखा है. कैफे कॉफी डे और येलो चिली चेन रेस्टोरैंट के साथ बातचीत चल रही है. इन प्रयासों का सिर्फ एक मकसद है, सदस्यों को ज्यादा से ज्यादा खुशियां और संतोष प्रदान करना.
लाभ के लिए काम करनेवाली कंपनी ‘समर्थ लाइफ मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ के पास सब्सक्रिप्शन आधारित केयर प्लान है.
यह दो हजार रुपये प्रति माह से शुरू होती है. दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को अपनी जरूरत के अनुसार प्लान लेने की सुविधा हासिल है. इसमें 24 घंटे का इमरजेंसी रिस्पांस, हेल्थकेयर सपोर्ट, मेडिसिन मैनेजमेंट, होम सर्विसेज, सिक्यूरिटी एंड सेफ्टी सेट-अप्स, खरीदारी करने में सहयोग, शहर में या शहर से बाहर जाने के लिए सहायक की सुविधा मिलती है. ‘समर्थ’ अपनी सुविधाओं को सहज बनाने के लिए एक कॉल सेंटर भी चलाता है. एक मोबाइल एप भी उपलब्ध है. इन सबके अलावा ‘समर्थ’ ने केेयर मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों की हरसंभव मदद करने का काम करते हैं. मात्र नौ महीने की उम्र वाले समर्थ का कारवां तेजी से बढ़ता जा रहा है.
As published in Prabhat Khabar





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